• 06 September, 2025
Police Corner
  • 28 Jun, 2024

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पुलिस कर्मचारियों के लिए हैन्ड्बुक

पुलिस कर्मचारियों के लिए हैन्ड्बुक

पुलिस कर्मचारियों के लिए हैन्ड्बुक

(भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता)

 

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में निम्न मुख्य बिंदुयों पर जोर दिया गया है !

●      अन्वेषण में टेक्नोलॉजी का प्रयोग,

●      सम्मन की तामील डिजिटल तरीके से होगी,

●      अन्वेषण में फोरेंसिक विज्ञान का उपयोग आदि।

●      समयबद्ध जांच, ट्रायल और निर्णय (जजमैंट) ।

●      बीएनएसएस मुख्यता नागरिक केंद्रित है कयोंकि एफआईआर कॉपी की प्रति तो शिकायतकर्ता को दी हो जायेगी साथ में अब पुलिस द्वारा शिकायतकर्ता को जांच की प्रगति के वारे भी सूचित करना होगा।

●      छोटे अपराधों के लिए सारांश परीक्षण (summary trial) अनिवार्य,

●      Video Confrencing के माध्यम से आरोपी का एग्जामिनेशन न्यायलय द्वारा हो पाएगा।

●      Video Confrencing के माध्यम से गवाह का एग्जामिनेशन पुलिस ओर न्यायलय द्वारा हो पाएगा।

 

अध्याय-1

परिभाषाएँ जो पहली बार जोड़ी गई:-

(1) "ऑडियो-वीडियो इलेक्ट्रॉनिक साधनों के बारे में पहली बार स्पष्ट रूप से बताया गया।

(2) “इलेक्ट्रॉनिक कम्यूनिकेशन” को परिभाषा दी गई !

(3) Special Act, BNSS पर prevail करेंगे।

 

अध्याय-II

(1) महानगरीय मैजिस्ट्रेट, असिस्टेंट सेशन जज के पद अब नहीं होंगे"!

(2) Director prosecution, Public Prosecutor के पदों का प्रावधान।

(3) सरकार धारा 15 बीएनएसएस में executive मैजिस्ट्रैट की शक्ति एसपी रैंक के पुलिस अधिकारी को भी दे सकती है I

 

 

अध्याय-IV

धारा 34 (2) (ii) बीएनएसएस :- किसी व्यक्ति ने अगर दस वर्ष और दस वर्ष से अधिक सजा वाला अपराध किया है ओर भगोड़ा है तो उसे उदघोषित अपराधी घोषित करवाया जा जाएगा । पहले उदघोषित अपराधी केवल आईपीसी की धारायों 302, 304, 364, 367, 382, 392, 393, 394, 395, 396, 397, 398, 399, 400, 402, 436, 449, 459 ओर 460 IPC में ही घोषित हो सकता था।

 

अध्याय-V

पुलिस बिना वारंट के कब गिरफ़्तारी कर सकती है?

(1) धारा 41 सीआरपीसी अब धारा 35 बीएनएसएस में परिवर्तित I

(2) धारा 41(A) सीआरपीसी का नोटिस अब 35(3) बीएनएसएस का नोटिस होगा ।

(3) धारा 35 (3) बीएनएसएस, के नोटिस का फॉर्मैट फार्म नंबर-1 पर दिया गया है I

(4) धारा 35(7) बीएनएसएस, किसी ऐसे अपराध में जिसमे सजा तीन बर्ष से कम है, ऐसे मामले में अगर 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ती या किसी रोगी/अशक्त की गिरफ्तारी करनी होगी तो पुलिस को DSP रैंक के अधिकारी की परमिशन लेनी होगी I

(5) धारा 36 (c) बीएनएसएस, गिरफ्तार ब्यक्ति की गिरफ़्तारी की सूची उसके परिवार के मेम्बर से सत्यापित करनी होगी ओर अगर परिवार का सदस्य गिरफ़्तारी के समय हाजिर नहीं है तो पुलिस को गिरफ्तार ब्यक्ति को सूचित करना होगा की उसे अपनी गिरफ़्तारी की सूचना किसी रिश्तेदार, मित्र या अन्य किसी ब्यक्ति को सूचित करने का अधिकार है I

(6) धारा 41(C) सीआरपीसी अब धारा 37 (b) BNSS होगी जिसमे अब प्रत्येक जिला और थाना में कंट्रोल रूम में ASI या ऊपर के रैंक के अधिकारी Designated पुलिस अधिकारी होंगे जिनका मुख्य कार्य गिरफतार आरोपी का डाटाबेस बनाना होगा जैसे नाम, पता और किस अपराध में गिरफ्तार हैं आदि।

(7) पुलिस थाना, जिला पुलिस मुख्यालय पर अब जनता की जानकारी के लिए गिरफ्तार व्यक्ति का नाम, अपराध का डेटाबेस डिसप्ले करना होगा जो डिजिटल तरीके से भी हो पाएगा।

 

गिरफ्तारी की प्रक्रिया में मुख्य परिवर्तन:

 

धारा 43 सीआरपीसी अब होगी धारा 40 बीएनएसएस: -

●      प्राइवेट व्यक्ति द्वारा गिरफ़्तारी की स्थिती में 6 घंटे मे वह गिरफ्तार आदमी को पुलिस के पास ले जाएगा ओर “पुलिस अधिकारी उसे पुनः गिरफ्तार करेगा" की जगह अब "पुलिस अधिकारी उसे हिरासत में लेगा" होगा।

 

धारा 46 सीआरपीसी अब होगी धारा 43 बीएनएसएस:

धारा 43 (3) बीएनएसएस, हथकड़ी का उपयोग:

●      "पुलिस अधिकारी, अपराध की प्रकृति और गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, ऐसे व्यक्ति की गिरफ्तारी करते समय हथकड़ी का उपयोग कर सकता है जो बार-बार अपराध करता है, जो हिरासत से भाग गया है, जिसने संगठित अपराध (Organised Crime) में शामिल है, आतंकवादी कृत्य, नशीली दवाओं से संबंधित अपराध, या हथियारों और गोला-बारूद के अवैध कब्जे का अपराध, हत्या, बलात्कार, एसिड हमला, सिक्कों और मुद्रा नोटों की जालसाजी, मानव तस्करी, बच्चों के खिलाफ यौन अपराध, राज्य के खिलाफ अपराध, जिसमें संप्रभुता को खतरे में डालने वाले कार्य शामिल हैं।

●      धारा 48 (i) बीएनएसएस: किसी ब्यक्ति की गिरफ़्तारी की सूचना ओर जहां से उसे गिरफ्तार किया है उस स्थान की सूचना उस व्यक्ति के रिश्तेदार या मित्र को देनी होगी ओर साथ में जिला के कंट्रोल रूम के designated पुलिस ऑफिसर जो ASI रैंक से कम का न होगा को भी देनी होगी I

●      धारा 50 बीएनएसएस:- अरेस्ट के बाद “weapon of offence” बिना बिलंब के कब्जे मे लेना होगा ओर उस अधिकारी जिसके आदेश पर उसको गिरफ्तार किया है उसके समक्ष या फिर न्यायलय मे प्रस्तुत करना होगा I

●      धारा 51 बीएनएसएस:- अरेस्ट के बाद अब Medical Examination (Check-up) किसी भी रैंक का पुलिस ऑफिसर चिकित्सक से करवा सकता है, पहले सब इन्स्पेक्टर रैंक के अधिकारी ही करवा सकते थे धारा 53 सीआरपीसी में I

●      धारा 51 बीएनएसएस:- रेजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिश्नर के पास नैशनल मेडिकल कमिशन ऐक्ट, 2019 द्वारा निर्धरित योग्यता होनी चाहिए, ओर उसका नाम नैशनल मेडिकल रजिस्टर में दर्ज हुआ होना चाहिए I

●      धारा 51(3) बीएनएसएस:- मेडिकल ऑफिसर बिना बिलंब के रिपोर्ट जांच अधिकारी को भेजेगा I

●      धारा 52 बीएनएसएस:- बलात्कार करने वाले या बलात्कार का प्रयास करने अभियुक्त का तुरंत Medical Examination (Check up) करवाया जाएगा I

 

धारा 53 BNSS (54 Cr.PC) गिरफ्तार व्यक्ति की चिकित्सा अधिकारी द्वारा जांच:

●      जहां गिरफ्तार व्यक्ति महिला हो, केवल महिला चिकित्सक द्वारा ही उसका मेडिकल होगा !

●      रेजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिश्नर को अगर लगे की अभियुक्त की एक अन्य जांच जरूरी है तो वो करवा सकता है I

●      धारा 54 BNSS (54-A Cr.PC) में गिरफ्तार किये गये व्यक्ति की पहचान परेड की videography भी होगी।

●      धारा 58 BNSS (57 Cr.PC) बिना वारंट गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को चौबीस घंटे से अधिक हिरासत में नहीं रखा जाएगा। तभी हिरासत में रखा जा सकता है जब धारा 187 BNSS का आदेश न्यायलय से प्राप्त कर लिया हो I

 

अध्याय-VI

●      धारा 63 (ii) BNSS, summons encrypted or any other form of electronic communication में भी हो सकता है जिसमे कोर्ट की मोहर की इमेज होगी I

●      धारा 64 BNSS, summons के लिए थाना या कोर्ट मे रजिस्टर लगेगा जिसमे ईमेल ओर फोन आदि का बर्णन होगा I

●      धारा 64 (2) BNSS, summons अब electronic communication के माध्यम से भी तामील करवाए जा सकेंगे।

●      धारा 65 BNSS, किसी फर्म को समन की सर्विस करने के लिए उसके हिस्सेदारों में से किसी एक को समन की तामील डाक के माध्यम से की जा सकती है I पत्र के पहुँचने को ही सर्विस मान लिया जाएगा I

●      धारा 66 BNSS:- Summon अब घर के किसी भी वयस्क सदस्य को भी दिया जा सकेगा, पहले समन केवल पुरूष सदस्य को ही दिया जा सकता था लेकिन अब घर की महिला सदस्य को भी दिया जा सकेगा परंतु घर के नौकर को नहीं दिया जाएगा ।

●      धारा 70 (3) BNSS, इलेक्ट्रॉनिक कम्यूनिकेशन से हुई समन की तामील की एक प्रति सत्यापित करके साक्ष्य के तौर पर रखी जाएगीI इस रिपोर्ट को भी सर्विस माना जाएगा I

●      धारा 71(2) BNSS, समन रजिस्टर्ड पोस्ट से भी भेजा जा सकेगा ओर डाकिए की ये रिपोर्ट की “प्राप्तकर्ता ने लेने से मना किया” को सर्विस मान लिया जाएगा I

 

गिरफ़्तारी वॉरन्ट

●      धारा 82 BNSS :- वारंट के साथ जिला के वाहर किसी अभियुकत को गिरफ्तार करने पर अगर जिस कोर्ट का वारंट है वो 30 किलोमीटर से ज्यादा दूरी पर है तो गिरफ्तार ब्यक्ति को नजदीकी कार्यकारी मैजिस्ट्रैट, एसपी या CP के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा I अभियुकत के स्थायी पते वाले स्थान और अरेस्ट करने वाले स्थान के डेजिग्नेटिड ऑफिसर (Designated officer/ASI of Control room) को भी सूचित करना पड़ेगा I

●      धारा 84 BNSS (4) :- किसी व्यक्ति ने अगर दस वर्ष और दस वर्ष से अधिक सजा वाला अपराध किया है ओर भगोड़ा है तो उसे उदघोषित अपराधी घोषित किया जा सकेगा। पहले उदघोषित अपराधी केवल आईपीसी की धारायों 302, 304, 364, 367, 382, 392, 393, 394, 395, 396, 397, 398, 399, 400, 402, 436, 449, 459 ओर 460 IPC में ही घोषित हो सकता था।

●      धारा 86 BNSS:- न्यायालय, पुलिस अधीक्षक या पुलिस आयुक्त के स्तर के पुलिस अधिकारी के लिखित अनुरोध पर, किसी उदघोषित अपराधी की संपत्ति की पहचान, कुर्की और जब्ती के लिए Contracting State से किसी न्यायालय या प्राधिकारी से सहायता का अनुरोध कर पाएगा।

नोट:- Contracting State का मतलब एसा देश है, जिसकी भारत के साथ कोई संधि (Treaty) होगी I

 

अध्याय-VII

 

●      धारा 94 BNSS (91 Cr.PC) में अब उपधारा (3)B (पुराना 91(3B) से टेलीग्राम & टेलीग्राफ अथॉरिटी हटाया दिया गया है। नई धारा में electronic communication लिखा गया है यानी अब सीडीआर आदि लेने के लिए अब 94 BNSS का नोटिस दिया जा सकेगा। पहले टेलीकॉम डिपार्टमेंट से सीडीआर आदि लेने के लिए 92 Cr.PC का नोटिस दिया जाता था।

●      धारा 94 BNSS के प्रावधान {94 (3) a & b} के अनुसार बैंकिंग कम्पनी और पोस्टल डिपार्टमेंट पर लागू नहीं हैं I

●      धारा 95 BNSS, (92 Cr.PC) में कोई परिवर्तन नहीं है।

●      धारा 105 (बिल्कुल नया प्राबधान) - तलाशी और जब्ती की वीडियो रिकॉर्डिंग- इस संहिता (BNSS) के अध्याय VII के अंतर्गत या धारा 186 के अंर्तगत पुलिस अधिकारी द्वारा की गई हर तलाशी (Search) वीडियो ग्राफी की जाएगी। यह वीडियोग्राफी फोन द्वारा भी की जा सकती है, जो बिना देरी के डीएम, एसडीएम या फिर जूडिशल मैजिस्ट्रैट (प्रथम श्रेणी) को भेज दी जाएगी ।

 

तलाशी और जब्ती के दौरान उचित वीडियोग्राफी की विधि :-

●       परिसर में प्रवेश करने से पहले रिकॉर्डिंग शुरू करें।

●       तिथि, समय, स्थान, केस विवरण और वारंट विवरण के साथ एक स्पष्ट परिचय शामिल करें।

●       तलाशी और जब्ती अभियान की शुरुआत की स्पष्ट घोषणा करें।

●       वीडियो शूट करते समय और अपराध स्थल पर तस्वीरें खींचते समय कभी भी बात न करें।

●       क्रमवार प्रत्येक कमरे या क्षेत्र को कवर करते हुए, खोज प्रक्रिया को व्यवस्थित रूप से दस्तावेजित करें।

●       सुनिश्चित करें कि रिकॉर्डर का ऑडियो बंद हो और अपराध स्थल पर मौजूद अधिकारियों के पास उपलब्ध माइक डिवाइस भी बंद कर दें।

●       जहाँ तक संभव हो, वीडियो के साथ रिकॉर्डिंग का अक्षांश-देशांतर और समय रिकॉर्ड किया जाना चाहिए।

●       इस प्रकार बनाई गई वीडियो रिकॉर्डिंग केस डायरी (जिमनी) का हिस्सा होगी।

●       क्षेत्र की प्रारंभिक स्थिति का दस्तावेजीकरण करने के लिए क्षेत्र का 360-डिग्री दृश्य कैप्चर करें।

●       खोजे जा रही क्षेत्र के विस्तृत वॉक थ्रू सहित पूरी खोज प्रक्रिया को कैप्चर करने पर ध्यान दें।

●       जब्त की गई वस्तुओं का क्लोज-अप कैप्चर करें, उनकी स्थिति और किसी भी पहचान चिह्न को दिखाते हुए।

●       वस्तुओं की खोज और जब्ती के बारे में स्पष्ट रूप से बताएं, सुनिश्चित करें कि वे रिकॉर्डिंग में दिखाई दे रही हैं।

●       गवाहों द्वारा जब्ती सूची की तैयारी और हस्ताक्षर को रिकॉर्ड करें।

●       अनावश्यक रुकावटों के बिना शुरू से अंत तक निरंतर रिकॉर्डिंग सुनिश्चित करें।

●       Search & Seizure ऑपरेशन के सारांश के साथ रिकॉर्डिंग समाप्त करें।

 

रिकॉर्डिंग के बाद की प्रक्रिया

●       सटीकता और पूर्णता के लिए रिकॉर्डिंग की समीक्षा करें।

●       रिकॉर्डिंग को सुरक्षित रूप से संग्रहीत करें और बैकअप करें।

●       रिकॉर्डिंग का दिनांक, समय, स्थान, केस विवरण और सामग्री का संक्षिप्त विवरण लिखें।

●       रिकॉर्डिंग के आरंभ और अंत बिंदु का वर्णन करने के लिए रिकॉर्डिंग में आरंभिक और अंतिम शॉट होना चाहिए।

●       यह रिकॉर्ड में लिया जाना चाहिए कि किसी भी रिकॉर्डिंग से पहले मेमोरी कार्ड खाली था। नया मेमोरी कार्ड जिससे लिया है उसका बयान भी लिखा जा सकता है ।

●       बरामद साक्ष्य के पहचान योग्य विवरणों को प्रकट करने वाली क्लोजअप वीडियोग्राफी के साथ साक्ष्यों को इक्ट्ठा करने प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जानी चाहिए।

●       जब्ती तैयार करने और गवाहों और संबंधित व्यक्ति द्वारा उस पर हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया की भी वीडियोग्राफी की जानी चाहिए।

●       कैमरे का विवरण, दिनांक/समय और स्टोरेज मीडिया यानी मेमोरी कार्ड का विवरण जब्ती ज्ञापन में उल्लेख किया जाना चाहिए जो कैमरे द्वारा उत्पन्न विवरण से मेल खाता हो।

●       फर्द /सूची में वीडियो फुटेज का Hash value का उल्लेख किया जाना चाहिए।

●       बी.एन. एस. एस. की धारा 63(4)(सी) के तहत प्रमाण पत्र सहित कानून द्वारा निर्धारित की गई प्रक्रियाओं का पालन करके डिजिटल साक्ष्य की स्वीकार्यता सुनिश्चित करें और ट्रांसमिशन और स्टोरेज के विभिन्न स्थानों में Hash value के माध्यम से प्रामाणिकता और डेटा अखंडता बनाए रखें।

●       धारा 63(4)(सी) प्रमाणीकरण के लिए डिवाइस के मालिक की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उस व्यक्ति की आवश्यकता है जो वास्तव में प्रासंगिक समय पर नियमित रूप से डिवाइस का प्रबंधन करता है और उसे चला रहा है। अस्पष्ट फोटोग्राफ और रिकॉर्डिंग को अदालत में जमा न करें।

●       धारा 63(4)(सी) के तहत प्रमाण पत्र के बिना डिजिटल साक्ष्य जमा न करें।

●       केस डायरी में फोटोग्राफ और वीडियो का हैश वैल्यू लिखना न भूलें।

●       रिकॉर्डिंग मैजिस्ट्रैट को निर्धारित तरीके से भेजें I

●       एक कोर्ट कॉपी DVD/Pen drive में सेव व सील करके मालखाना में रखें ओर चार्ज शीट के साथ न्यायालय में जमा करें अगर मोबाईल एप इ-सक्षय का प्रयोग करके न्यायालय को सबमिट न की गई हो तो I

●       एक IO copy पुलिस फाइल में भी रखें I

 

नोट :- तलाशी और जब्ती के दौरान वीडियोग्राफी की विधि BNSS में नहीं बताई गई है तथा इस संबंध में सभी राज्यों का अपना-अपना तरीका हो सकता है I

 

●      धारा 106 BNSS:- पुलिस को किसी वस्तु को जब्त करने की शक्ति अब धारा 106 BNSS में होगी पहले ये शक्ति धारा 102 Cr.PC में थी I इस जब्ती की भी विडिओ ग्राफी होगी ओर जब्ती न्यायालय में प्रस्तुत करनी होगी I

●      धारा 107(1), BNSS जांच कर रहे पुलिस अधिकारी के पास विश्वास करने का कारण है की संपत्ति आपराधिक गतिविधि से प्राप्त/अर्जित की गई है तो वह एसपी या सीपी की मंजूरी से क्षेत्राधिकारी जूडिशल मैजिस्ट्रैट को संपति की कुर्की के लिए आवेदन दें सकता है।

●      धारा 107(6) BNSS, यदि न्यायालय को लगता है कि संपत्ति अपराध से अर्जित आय के द्वारा है, तो वह डीएम को ऐसे अपराध से प्रभावित व्यक्तियों को वह संपत्ति वापिस करने का निर्देश देगा I

 

अध्याय-VIII

●      “Proceeds of crime” अपराध से अर्जित धन को पहली बार परिभाषित किया गया है ओर परिभाषा धारा 111(C) में दी गई है I

●      धारा 166-A Cr.PC, अब धारा 112 BNSS हो गई है (सक्षम प्राधिकारी को अनुरोध पत्र Letter Rogatory )

●      धारा 166-B Cr.PC, अब धारा 113 BNSS हो गई है ।(किसी अन्य देश से अनुरोध पत्र Letter Rogatory)

 

अध्याय-IX

●      शांति बनाए रखने के लिए पाबंद करने के प्रावधान 125 BNSS, से 143 BNSS तक हैं I

●      धारा 107 दंड प्रक्रिया संहिता की शक्ति अब 126 BNSS, में होगी I

●      धारा 109 दंड प्रक्रिया संहिता की शक्ति अब 128 BNSS, में होगी I

●      धारा 110 दंड प्रक्रिया संहिता की शक्ति अब 129 BNSS, में होगी I

 

अध्याय-X 

●      धारा 125 Cr.PC अब हो गई है धारा 144 BNSS जिसके अनुसार जूडिशल मैजिस्ट्रैट किसी ब्यक्ति को उसकी पत्नी, बच्चे ओर माता पिता को खर्च प्रदान करने के लिए आदेश कर सकते हैं I

 

अध्याय XI

 

●      धारा 148 (1) BNSS, विधि विरुद्ध सभा को तितर-बितर करने के लिए कोई भी executive magistrate या SHO/SI आदेश दे सकेगा I

●      धारा 149 (1) BNSS, विधि विरुद्ध सभा को तितर-बितर करने के लिए सशस्त्र बलों का उपयोग- डीएम या उसके द्वारा अधिकृत कोई अन्य Executive Magistrate जो मौजूद है, सशस्त्र बलों को तितर-बितर करने का आदेश दे सकता है, दंड प्रक्रिया सहिता में सर्वोच्च रैंक का Executive Magistrate आदेश दे सकता था परंतु अब अब कोई भी executive magistrate आदेश दे सकेगा I

●      धारा 151 BNSS, कहती है की धारा 174(1) में किसी अधिकारी या आर्म्ड फोर्सेस के मेम्बर्स जो धारा 148, 149, 150 में कार्यवाही कर रहा हो, के विरूद ऐसे कार्य के लिए केंद्र या राज्य सरकार की अनुमति के बिना कोई मुकदमा नहीं चलाया जाएगा I

●      धारा 133 दंड प्रक्रिया संहिता की शक्ति अब 152 BNSS, में होगी I

●      धारा 142 दंड प्रक्रिया संहिता की शक्ति अब 161 BNSS, में होगी I

●      धारा 154 BNSS:- वह व्यक्ति जिसके विरुद्ध उपद्रव की कार्यवाही हटाने का सशर्त आदेश चल रहा है उसे ऑडियो-वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने की अनुमति दी जा सकती है I

●      धारा 157 BNSS: एसे व्यक्ति के विरुद्ध कार्यवाही 90 दिनों के भीतर पूरी की जानी है, जिसे लिखित में कारण दर्ज करने के बाद 120 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है।

●      धारा 144 ए Cr.PC का प्रावधान (हथियार ले जाने पर प्रतिबंध को) BNSS से हटाया गया है I

●      धारा 153 Cr.PC: बाटों और मापों का निरीक्षण को हटाया गया।

 

अध्याय XII

●      पुलिस की preventive action की शक्ति धारा 168 BNSS, से 172 BNSS, में दी गई है I

●      धारा 170 BNSS, (पुरानी धारा 151 Cr.PC) पुलिस ऑफिसर संज्ञेय अपराध को रोकने के लिए गिरफ्तारी विना न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश से कर पाएगा।

 

●      धारा 172 (बिल्कुल नया प्राबधान): पुलिस के वैध निर्देशों का पालन करने के लिए, व्यक्ति बाध्य होंगे:-

(I)       सभी व्यक्ति इस अध्याय के तहत अपने किसी भी कर्तव्य की पूर्ति में दिए गए पुलिस अधिकारी के कानूनी निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य होंगे

(II)      पुलिस अधिकारी उप-धारा (1) के तहत उसके द्वारा दिए गए किसी भी निर्देश का विरोध करने, इनकार करने, अनदेखी करने या अवहेलना करने वाले किसी भी व्यक्ति को हिरासत में ले सकता है और उस व्यक्ति को मेजिस्ट्रेट के सामने ले जाएगा या छोटे मामलों में खुद भी चौबीस घंटे की अवधि के भीतर जितनी जल्दी हो सके रिहा कर पाएगा ।

 

अध्याय XIII

पुलिस को जानकारी देना और उनकी जांच करने क

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